सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

हमारे त्यौहार और त्यौहारीयों की अपील

आमतौर पर प्राचीन त्यौहरों पर तथाकथित पंजीकृत बुध्दजीवियों के बड़े मार्मिक और विद्वतापूर्ण तार्किक अपील तमाम संचार माध्यमों में सुनामी की तरह दिखाई सुनाई पड़ते है! मसलन अभी दीपोत्सव का पर्व है तो आपको सभी संचार माध्यमों में ग्लोबल वार्मिंग तथा पर्यावरण और ध्वनि प्रदूषण का वास्ता देकर फटाखे ना फोड़ने की मार्मिक अपील सुनाई और दिखाई दे रही होगी साथ ही साथ अखबारों और टी वी पर इस मौसम में नकली मावा के खबर भी प्रमुखता से प्रकाशित और प्रचारित होते नजर आ रहे होंगे!  

क्या कभी आपने सोचा है ऐसा केवल दीपावली के पूर्व ही क्यों होता है! अभी कुछ दिन पहले गणेशोत्सव पर आपको भगवान गणेश की बड़ी बड़ी मूर्तियों के द्वारा पर्यावरण प्रदूषण पर इको फ्रेंडली बुध्दजीवियों द्वारा उनके दिव्य मुखारविंद से चाशनी में डूबे हुए गूढ़ज्ञान से अभिभूत किया गया होगा लेकिन इन दिव्य आत्माओं के हरएक परिवार के नौनिहालों द्वारा वर्ष भर में जिव्हास्वादन के लिए उदरस्थ स्नेक्स और चाकलेटों के प्लास्टिक रैपर को अगर जमा किया जाय तो विश्व की सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा भी बौनी लगने लगे! देश के चौथे आधार स्तम्भ मीडीया में जड़ित रत्न महामना पंकज पचौरी जी ने तो ये भी सलाह दे डाली कि गणेश उत्सव में व्यर्थ में पैसा बहाने के बजाय इन पैसों को मुम्बई की सुरक्षा में उपयोग किया जाना चाहिए! हाँ परचोरी जी सही कहते हैं आप ताकि सरकार द्वारा टैक्स में लिये जाने वाले पैसे से आपको पेड न्यूज दिया जा कर भारत निर्माण किया जा सके! 

ये बात सही है कि नकली मावा का उपयोग मिष्ठान निर्माण में किया जाता है लेकिन इन समाजसेवियों को केवल त्यौहारों पर ही आमजन के स्वास्थ्य की चिंता क्यों सताती है और फिर टी वी पर इस विषय पर प्रायोजित गहन चिंतन के कार्यक्रम के बीच बीच में विज्ञापन के रूप में कोई महानायक आकर आपसे पूछता है इस दीवाली आप किसे खुश करेंगे चलो कुछ मीठा हो जाय वो भी खालिश इम्पोर्टेड! 

इतना जान लें पर्यावरण सम्बंधी संदेश में कोई बुराई नहीं है लेकिन जिन लोगों का संगठित गिरोह ऐसी अपील जारी करता हैं उनकी असलियत और नीयत जान लें! जरा नजर रखें वे लोग अपने निजी उत्सव में कैसी आतिश बाजी करते हैं! कोई सड़कछाप भी यदि किसी संगठन का मोहल्ला अध्यक्ष भी बन जाये तो पूरा शहर आतिशवाजी और पोस्टर बैनर से रंगीन हो जाता है! नेता का कोई नवीन पद धारण कर अपने ही क्षेत्र में आने पर इतनी आतिशबाजी की जाती है जितनी कि दीपावली में एक पूरे छोटे शहर के द्वारा नहीं की जाती होगी और उत्सव का माहौल ऐसा कि या तो नेताजी प्रथम बार अपने पैतृक शहर में पधार रहे हैं या फिर ये उनका अंतिम प्रवास है! लेकिन ये प्रदूषण की श्रेणी में नहीं आता! इन चिंतनशील बुध्दजीवियों को दीपावली के फटाको का प्रदूषण तो दिखाई देता है किंतु कारखानों से निकलते अपविष्ट पदार्थों का और उनसे तथा ट्रैफिक जाम में लाखों गाड़ियों से निकलने वाले धुँये से होता प्रदुषण दिखाई नहीं देता!


मैंने हमेशा इन दिव्य आत्माओं से होली पर भी पानी बचाने की बड़ी विद्वतापूर्ण मार्मिक अपील सुनी है और कमोबेश ये मार्मिक अपील उन लोगों के द्वारा की जाती है जो केवल अपने मुखमण्डल की आभा बनाये रखने के लिए एक परिवार की आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग करते हैं तथा इनके परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए पृथक वाहन की व्यवस्था होती है एवं एक ही गंतव्य में जाने हेतु वे अपने स्वयं के वाहन का उपयोग करना नैतिक धर्म समझते हैं और इनकी लम्बी कारें अपने स्वामियों की तरह ही स्वच्छ और चमकदार दिखने के लिए सैकड़ो लीटर पानी से रोज नहाती हैं!  

मंदिरों में यदा कदा होने वाली बलिप्रथा पर ये स्वघोषित प्रशु प्रेमी अपना घोर विरोध जताकर आँदोलन तो करते हैं लेकिन उनके सपने में भी किसी मल्टीनेशनल मेक्डॉनाल्ड या KFC चिकन का विरोध नहीं दिखता! अगर धोखे से इनकी गाड़ी या ये स्वयं ही सपरिवार इन अट्टालिकानुमा प्रतिष्ठानो के बाहर दिखाई दे जायें तो प्रसन्न होकर आश्चर्यचकित ना हों! ये तो बस अपने साप्ताहिक अवकाश का आनंद उठाने आये होते हैं!

बस अब जाने दे लिखने को तो इस पर दिन भर लिख सकता हूँ लेकिन दिक्कत ये है कि इस लेख को प्रथम तो कोई पढ़ेगा नहीं और पढ़ भी लिया तो मानने को तैयार नहीं होगा क्योंकि हम कोई जेएनयू उत्पादित बुध्दजीवी तो हैं नही इसलिए किसी को समझाना मतलब पत्थर में सर फोड़ना है! 

अच्छा है इस दीपावली फटाखे ना फोड़कर रूकरूक खान की रावण फिल्म किसी मल्टीप्लेक्स में देखें और मोरानी मामा को फायदा पहुँचायें ताकि उन पैसों से फिर दिल्ली हाईकोर्ट जैसा कोई धमाका कर प्रदूषण रहित सामूहिक सेक्यूलर दीपावाली उत्सव मनाया जा सके!  

मेरी शुभकामना आपके लिए! इस दीपावली धनलक्ष्मी आपके घर आयें और कुछ दिन आपको प्रसन्न कर आपके माध्यम से पूँजीपतियों के स्विस खातों में स्थायी रूप से निवास करें !! जय हो !!


शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

अन्ना का मौन व्रत और आंदोलन की दशा-दिशा

मौन का वास्तविक अर्थ है प्रतिक्रियाओं की शून्यता जिससे वाणी के साथ साथ चित्त भी शांत रहे लेकिन अन्ना द्वारा लगातार सारी राजनीतिक घटनाओं पर नजर रखकर वाणी की बजाय कलम द्वारा अपनी त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान की जा रही है ! ये समझ से परे है इससे कौन सी उर्जा संरक्षित होगी और कौन सा संकल्प मजबूत होगा ! कभी कभी जो दिखाई देता है वास्तव में वो सही नहीं होता !  

मौन एवं ना बोलने में बुनियादी फर्क होता है ! यदि ना बोलकर लगातार अपने विचारों को लेखनी के द्वारा प्रगट करना यदि मौन व्रत है तो फेसबुक ट्विटर आदि अन्य सोशियल साईट्स पर कमोबेश सभी लोग मौन व्रत ही धारण किये हुए हैं लेकिन उर्जा का क्षय, क्रोध, प्रसन्नता, निंदा, प्रशंसा और अन्य लक्षण जो बोलकर एवं वाद प्रतिवाद से जो अनुभव किये जा सकते हैं सभी गुण विद्यमान है ! अगर इसे ही मौन व्रत कहा जाता तो फिर तो इस मार्डन हाईटेक मौन व्रत को नमन है! 

कुछ दिनों से यदि आप सूक्ष्मता से टीम अन्ना के कुछ अति निकट एवं मीडिया में प्रतिस्थापित सदस्यों के आचरण और बयानों को निष्पक्ष रूप से मनन करें तो एक खतरनाक एवं चिंताजनक स्थिति दिखाई देती है ! प्रशांत भूषण के बयान के बाद अन्ना ने कहा उन्हे टीम में रखने का निर्णय कोर कमेटी की सलाह मशविरा के बाद लिया जायेगा किंतु उसके ठीक बाद हिसार के चुनाव क्षेत्र से अरविंद केजरीवाल दावे के साथ कहते हैं कि प्रशांत टीम में बने रहेंगे ! तो इधर अन्ना यहाँ अपनी स्थिति स्पष्ट करते हैं कि कश्मीर किसी भी स्थिति में भारत का अभिन्न हिस्सा है इस पर कोई दो राय नहीं है और अन्ना अचानक अनिश्चितकालीन मौनव्रत पर जाने की घोषणा कर देते हैं किंतु इस मौन व्रत पर जाने से पूर्व उन्होने एक महत्वपूर्ण घोषणा की थी कि यदि शीतकालीन सत्र में यदि लोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो वे लोगों से काँग्रेस को वोट ना देने की अपील करेंगे ! किंतु अरविंद केजरीवाल हिसार उपचुनाव के नतीजों से अति उत्साहित होकर यूपी  में कूद गये और तत्काल काँग्रेस को वोट ना देने की अपील कर दी ! अभी तो शीतकालीन सत्र प्रारंभ भी नहीं हुआ है और यू पी के आम चुनाव भी दूर हैं फिर ये हड़बड़ी क्यूँ ? क्या ये अरविंद केजरीवाल की अतिमहत्वाकांक्षा नहीं है ? अब जब उनके उपर जूतमपैजार हुई तो अन्ना का मौन रहते हुए बयान आया कि वे मौन व्रत के बाद लखनऊ जायेंगे क्यूँ ????? डेमेज कंट्रोल करने ....  क्या अब अन्ना का यही काम बच गया है कि उनके सिपाहसालार और स्वयंभू देशभक्त उल्टियाँ करते रहें और ये उन्हे साफ करते जायें !  

ऐसी बातों से अन्ना के अंद्धभक्त मुझे भ्रष्टाचारी की संज्ञा भी दे सकते हैं क्योंकि पूर्व में कमोबेश ये नारा लगाया जा रहा था कि जो टीम अन्ना से सहमत नहीं वो भ्रष्टाचार के साथ है किंतु अरविंद केजरीवाल के यू पी में टीम अन्ना के कांग्रेस हराओ अभियान पर टीम अन्ना यानी आंदोलन की 22 सदस्यीय कोर कमेटी के दो महत्वपूर्ण सदस्यों, वी. पी. राजगोपाल और पर्यावरण कार्यकर्ता राजेंद सिंह के इस्तीफे से क्या साबित होता है !  जस्टिस संतोष हेगड़े भी इस निर्णय से अपनी असहमति सार्वजनिक रूप से प्रकट कर चुके हैं! आई ए सी के कार्यकर्ताओं का फंड के हिसाब किताब पर असंतोष जाहिर कर धरना देना और अब किरण बेदी का हवाई यात्रा काण्ड अन्ना के आंदोलन की मूल भावना पर तो नहीं किंतु टीम की विश्वसनीयता पर जरूर प्रश्न चिन्ह लगाता है !

टीम अन्ना के मुख्य सतारूढ़ दल होने के कारण काँग्रेस विरोधी अभियान में मुख्य रूप से दो परस्पर विरोधाभाषी बयान सामने आये हैं! वे कहते हैं यदि काँग्रेस शीतकालीन सत्र में सशक्त लोकपाल बिल पास कर देती है तो वे काँग्रेस का चुनावों में समर्थन करेंगे और इसके उलट यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे वही करेंगे जो उन्होने हिसार उपचुनाव में किया है मतलब किसी को भी वोट दें पर काँग्रेस को नहीं ! 

सरसरी निगाह से यदि इसे देखा जाय तो यह अत्यंत प्रभावशाली और उचित बयान प्रतीत होता है किंतु जरा परिस्थितियों पर गहन चिंतन करें तो एक अलग ही तथ्य सामने आता है! क्या काँग्रेस पार्टी की संसद के दोनो सदनो में स्वयं का सदस्य संख्याबल इतना है कि वो स्वयं के दम पर ये बिल पास करा ले ......  निश्चित तौर पर नहीं ! तो फिर लोकपाल के कानून नहीं बनाने पर केवल काँग्रेस को ही हराने की बात क्यों ? दूसरी स्थिति में यदि जनलोकपाल कानून बन जाता है तो यकीनन इसे ससंद में पास करने में अन्य पार्टीयों का भी सहयोग सम्मिलित होगा जो काँग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं! तो ऐसी स्थिति में टीम अन्ना का काँग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन कमोबेश उन पार्टीयों के खिलाफ ही माना जायेगा तो क्या टीम अन्ना का ये रवैय्या उन विपक्षी पार्टियों के प्रति सही होगा जिन्होने जनलोकपाल का संसद में समर्थन किया ?

अन्ना का आंदोलन अपने गैर राजनीतिक स्वरूप और विभिन्न मतावलम्बी संगठनों से आए ईमानदार जमीनी कार्यकर्ताओं और आम जनता का स्वफूर्त जुड़ाव इसकी सबसे बड़ी शक्ति रही है। अन्ना टीम के कुछ अति निकट सहयोगी अगर इस दिशा पर कार्य कर रहें  हैं कि काँग्रेस पर हमला बोलकर उन्हे घुटने टेकने के लिए मजबूर कर देना ही उनकी रणनीति है तो यह भारी भूल है।  

ऐसी रणनीति से कोई सरकार तो बदल सकती है लेकिन बुनियादी रूप से कोई सामाजिक जन चेतना या आधारभूत बदलाव नहीं आयेगा ! इस संदर्भ में हमें जयप्रकाश नारायण और विश्वनाथ प्रताप सिंह के आंदोलनों के परिणामों को याद करना चाहिए !  

अन्ना के आंदोलन का ऐजेंडा आज की परिस्थिति में जय प्रकाश नारायण के जन आंदोलन से कहीं अधिक गहरा और व्यापक हो सकता है किंतु प्रबंधन कौशल एवं राजनितिक परिपक्वता के मामले में वे जयप्रकाश के आंदोलन से काफी बौने हैं या ये कहें कि कोई अस्तित्व ही नहीं है ! लेकिन जयप्रकाश के आंदोलन से भी कुछ भी मूलभूत परिवर्तन नहीं हुआ हाँ कुछ उनके चारण भाट टाईप के लोग नेता बनकर मुफ्त की रोटी तोड़ रहे हैं और आज तक उनके नाम से अपनी नेतागिरी चमका रहे हैं!

जन लोकपाल आंदोलन अब एक ऐसे दोराहे पर है जहां उसके भटकने की पूर्ण सम्भावना है ! अन्ना को चाहिए कि इसकी दशा और दिशा पर इस मौन व्रत के दौरान अपनी त्वरित प्रतिक्रियाओं को तत्काल बंदकर शांत एवं गंभीरता से चिंतन करें और पूर्व में हुई जयप्रकाश के महान आंदोलन के हश्र से सबक लेकर भ्रष्टाचार के विरोध में जनचेतना हेतु एक लम्बी एवं सार्थकता से परिपूर्ण दिशायुक्त रणनीति बनाये जिसमें सहज राजनीतिक आकर्षण के बजाय लोकतांत्रिक परम्पराओं के लिए सम्मान के साथ-साथ  धरातल पर कोई ठोस परिवर्तन की सम्भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो !! जय हो !!

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

कौआ चौथ व्रत

कौआ चौथ मोमबत्ती ब्रिग्रेडियों का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के सभी प्रांतो का पर्व  है। यह किसी भी समय चतुष्पद पँछधारी द्वारपाल के समान भोकने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व सेक्यूलर मानवधिक्कारी कार्यकर्ता मनाते हैं। यह व्रत किसी भी समय से सार्वजनिक स्थानों में शुरू होकर मीडिया दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। 

ग्रामीण अनशनकारी से लेकर आधुनिक पंजीकृत बुध्दजीवियों तक सभी मानवधिक्कारी मोमबत्ती ब्रिग्रेडी कौआ चौथ का व्रत बडी़ निष्ठा एवं उत्साह के साथ रखते हैं। डालरशास्त्र के अनुसार यह व्रत किसी जुगाडू और शातिर ब्रिग्रेडी के फँसने पर , सत्ताधीशों को ब्लेकमेल करने के लिए अथवा अखण्ड भारत विरोधी गतिविधियों के लिए ही करना चाहिए। विदेशी चंदे एवं अमरीकी डॉलर सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किसी भी शुभ दिन डॉलर देवता जी की अर्चना की जाती है। कौआ चौथ में भी बकरचंद श्वान की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में मोमबत्ती जलाकर मीडिया द्वारा टीवी में दिखाये जाने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में कौआ चौथ व्रतोत्सव ज्यादातर मानवधिक्कारी मोमबत्ती ब्रिग्रेडी अपने स्वयंसेवी संगठनों में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाते हैं लेकिन अधिकतर मानवधिक्कारी मोमबत्ती ब्रिग्रेडी निराहार रहकर डॉलर आगमन की प्रतीक्षा करते हैं।
व्रत
मेट्रोपोलिटिन शहर में जहाँ मिडिया कव्हरेज उपलब्ध हो कुकुर चौधरी (कौआ-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सेक्यूलर हरी लुँगी मानवधिक्कारी मोमबत्ती ब्रिग्रेडी को ही यह व्रत करने का अधिकार है। व्यक्ति किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय का हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है केवल गेरूये रंग के धोतीधारक के  लिए ये व्रत प्रतिबंधित है । जो मानवधिक्कारी मोमबत्ती ब्रिग्रेडी विदेशी चंदे से आमदनी व डॉलर की कामना करते हैं वे यह व्रत रखते हैं। 

यह व्रत मौका देखकर लगातार भी किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का जूस पीकर उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो मानवधिक्कारी मोमबत्ती ब्रिग्रेडी आजीवन रखना चाहें वे सुविधानुसार धमकी देकर ब्रेक ले ले कर जीवनभर इस व्रत को कर सकते हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सभी मानवधिक्कारी मोमबत्ती ब्रिग्रेडी डॉलर अनुदान रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।

व्रत की विधि
किसी भी स्याह पक्ष की कुकुर तिथि अर्थात उस तिथि की रात्रि को जिसमें मीडिया में फूल कव्हरेज मिलने की सम्भावना सेठ हो , उस दिन प्रातः आठ दस साम्प्रदायिकता के खिलाफ धिक्कार भरे नारे याद कर अपने विदेशी डॉलर प्रदाताओं के निर्देशन में जनेऊ धोती और चुटिया को गाली गलौज करने का संकल्प लेकर दिनभर चिल्लाते रहें। 

पूजन
कौआ चौथ के एक दिन पूर्व शहनाज हुसैन के ब्यूटी पार्लर से मेकअप करवा लें फिर सुबह भरपेट पौष्टिक नाश्ता कर किसी मँहगे फैशन डिजायनर द्वारा निर्मित सफेद अर्धपारदर्शी महीन कपड़े के बाजूमुक्त बड़े गले के घेरे वाला कुर्ता एवं छिद्र युक्त लो वेस्ट जींस पहन एवं डिजायनर झोला लटकाकर चौक चौराहों पर अपनी बौध्दिक एवं शारीरिक सुंदरता का प्रदर्शन कर अंग्रेजी भाषा में लफ्फाजेदार भारी भरकम शब्दों से वाणी विस्फोटित करे और मन ही मन डॉलर देवता का स्मरण करें। पूजन करने के लिए मोमबत्ती जलाकर किसी व्यस्त चौराहे या ऐतिहासिक इमारत जिसके सामने तस्वीर अच्छी खिंचती हो एक गोल घेरा बनाकर ज्यादा से ज्यादा जलती हुई मोमबत्तियों को स्थापित करें। 

नैवेद्य
कामेडी टीवी सिरीयल्स के लिए संवाद लिखने वाले दादा कोंडके टाइप के लेखकों से कुछ शुद्ध तुकबंदी वाले नारों को रचना पूर्व से करवा लें ! हाय हाय, मुर्दाबाद, अन्याय नहीं सहेंगे, अभी तो ये अंगड़ाई है  आगे और लड़ाई (कमाई) है टाईप के नारों की सुविचार वर्णित पट्टिका और बेनर बनवा लें ! वैसे सुविधानुसार किसी मानवधिक्कारी प्रिंटिंग प्रेस में ऐसे नारों की सुविचार वर्णित पट्टिका की फ्लेक्सी रेडीमेड भी मिलती है वो भी खरीद सकते है !   

कौरवा
काली मिट्टी से सने कुछ दबे कुचले मजदूर और रिक्शा चलाने वाले कुछ साधारण भीड से दिखने वाले लोगों को मानदेय देकर इकठ्ठा करें ! यदि ऐसा करने में आप समर्थ ना हो तो आप इन्हे किराये से भी ले सकते है ! इस हेतु देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित संस्थान तीस्ता मोर्चा सप्लाई ऐजेंसी, मल्लिका बिकनी मोर्चा, नरमेधा धरना एसोसिएट्स आदि से सम्पर्क कर उचित दर पर अनुभवी कौरवा प्राप्त की जा सकती है !  

संख्‍या
ज्यादा से ज्यादा कौरवे अपनी सामर्थ्य अनुसार रखें। 

पूजन विधि
सभी कौरवों को सुविचार वर्णित पट्टिका प्रदान कर उन्हे अपने पार्श्व भाग पर कतार बध्द कर इस प्रकार धारण करायें कि सुविचार पट्टिका सर्वसाधारण को स्पष्ट रूप से दिखाई दे ! स्वयं को इस प्रकार स्थापित करें की आपका सौंदर्य प्रसाधनो से युक्त दीप्तमान मुखमण्डल और डिजायनर वस्त्र पूर्ण रूप से चौथे खम्बे (मीडिया) के निगाह क्षेत्र में रहे । 3 जी मोबाईल के द्वारा विदेशी दानदाताओं से नाड़ा बाँधकर डॉलर देवता की भावना करके निरंतर सम्पर्क स्थापित करें। पूरे पूजन के दौरान अविराम यथाशक्ति साहित्यिक शब्दों में गालीयों का प्रक्षेपण कर कौवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें। 

सायंकाल चंद्रमा के उदित हो जाने पर विदेशी अग्नि प्रज्वलन यंत्र द्वारा मोमबत्ती में अग्नि स्थापना करें और कुछ दूर पद परिचालन कर व्यस्त चौराहे या ऐतिहासिक इमारत के समक्ष उसे स्थापित कर अर्घ्य प्रदान करें। इसके पश्चात सभी छवि प्रक्षेपण अधिकारियों को सपरिवार सर्वसुविधा युक्त आश्रम में उर्जाजल सहित उत्तम भोजन कराएँ। भोजन के पश्चात उन्हे यथाशक्ति द्रव्य दक्षिणा देकर कृतज्ञता प्रकट करें । 

मोहनी माता (अर्थात राजमाता ) को सारी पूजन के दौरान बंधन मुक्त रखें और अपनी मातृभक्ति हेतु अर्पित एक लोटा, वस्त्र किसी स्वामी भग्निदोष जैसे विशेष कौरव के माध्यम से भेंट कर आशीर्वाद लें। यदि वे विदेश प्रवास में हों तो उनके तुल्य बबलू या माता द्वारा नियुक्त किसी भाट चारण मण्डली को भेंट करें। इसके पश्चात स्वयं या परिवार के किसी अन्य योग्य वक्ता सदस्य पहले किसी चौथे खम्बे के वातानूकूलित छायागृह (मीडिया स्टूडियो) में जाकर व्रत की महिमा का बखान करें तत्पश्चात किसी सिक्स स्टार बार में जाकर देर रात्रि तक उर्जा जल ग्रहण कर व्रत तोड़े !  

इस तरह से कौवा चौथ व्रत करने पर सभी उल्लूओं से डॉलर देवता प्रसन्न होंगे एवं व्रत सफल होकर धन धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति होगी ! 
बोलो मोमबत्ती प्रिय डॉलर देवता की जय !

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

छत्तीसगढ़ी सँगवारियों के लिए --तीजा स्पेशल

    घटना -1
अभी अभी शाम के फूल चौक में एक भौजी ला देख्यों ! एकदम एकता कपूर के सीरीयल के बहू ऐसन सिंन्गार करके चाटठेला में चाटवाला के गुपचुप सिराये बर भकाभक अपन योगदान देत रहीस ! मैं ओला हिम्मत करके बोलों भौजी आज तो तीजा हवे अऊर तैं एकदम सिक्सलेन नेशनल हाईवे जैसन माँग भरके , मायावती के जनमदिन के नोट के माला ऐसन मोट मोट सोना के मंगल डोरी पहेन के गुपचुप खातस उपास नई हस का !वो बडे मासूम स्टाईल में बोली ऐसन बात नई है भाई मोर सुहाग के पोस्ट हा एकदम स्थाई हवे बस ओकर अधिकारी के टाईम टाईम में ट्रांसफर होत रहिथे ! ये बरस मोर आदमी हा तीज के उपास रखे है काबर ओला चिंता है कि ऐ सीजन में कौनो दूसरा ट्रांसफर में आकर एक तरफा ज्वाईन नही कर दे !


घटना 2
मोर मितान समारू ह अपन बाई ला पूछिस ऐ रामप्यारी अबके बार तैं तीज के उपास नही रखे का ! ओकर बाई ह एकदम सेन्टीमेन्टल होके कहीस नई अब के बार मन नही लागथ हे !

समारू ह पूछिस काबर तो राम प्यारी के जबाब तुमन सब्बो संगवारी मन सुनो -

हमर गाँव के दू बाई मंगली अऊर सुन्दरी दोनो बचपन के मितान हवे ! गये साल मंगली तीजा के बरत रखे लेकिन सुंदरी नई रखे तो मंगली के आदमी के दू महिना के अंदर म रामनाम सत्य हो गईस ! ये हमर तीन घर बाद जो रमशीला के आदमी ह अब बहुत परेशान करथे ओकर खातिर इ डाहर मैं घला तीजा उपास नहीं रखों !

मगर मोर मितान सोमारू ह कोनो नानकुन आदम नई है वो बड़ आराम से एक देशी बोतल अपन शरीर के स्टोररूम में पहुँचा के मोर से बोलिस महाराज मोला कोई टेंशन नहीं हवे काबर वो शांताराम के बाई ह दू दिन के निर्जला उपास रखे है !! जय हो !!

रविवार, 2 अक्तूबर 2011

लेटर टू बापू ऑन हिस बर्थडे



मेरे नेशनल फादर बोले तो बापू ...

गुड मार्निंग एंड हैप्पी बर्थ डे टू यू
 

यहाँ कुशल गुसल है मेरे सांई
वहाँ कुशल तुम जानो रघुराई 

लिखना हाल समाचार ये है कि हमे यकीन है तुम स्वर्ग में भी रहकर खुश नहीं होगे क्योंकि तुम्हे तो हमेशा से दूसरों के लिए परेशान रहने की बीमारी थी इसलिए तो शायद अच्छा खासा बैरिस्टर का काम धाम छोड़ दिया ! अपना कोट पैंट उताकर लगोंटी पहन ली और चले देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने !  

हमें यहाँ अभी अभी कुछ दिन पहले ही सरकार द्वारा 26 रूपये से ज्यादा आमदनी होने के कारण अमीर घोषित कर सम्मान दिया गया हैं इसलिए ना चाहते हुए भी कहना पड़ रहा है कि इतने बम धमाकों और भूकम्प, बाढ़, सूखा जैसे प्राकृतिक विपदाओं के होते हुए भी बंदूको के साये में सुखी एवं प्रसन्नचित्त हैं ! जाहिर है पूर्णत: अकुशल ही होंगे ! 

बापू आगे समाचार ये है कि आजकल कुछ वर्षों से मंहगाई की समस्या ही समाप्त हो गई है ! ये मुई तो अब सोकर उठने से लेकर फिर से सोने तक हमारे दिनचर्या में श्वाँस की तरह शामिल हो गई है इसलिए अब सात जन्मों की हमसफर सी लगने लगी है ! इसलिए अब जिसके साथ जीवनभर चलना हो उसे सार्वजनिक रूप से समस्या भी तो नहीं कहा जा सकता ! यदि उसे हम ऐसा कहते हैं तो ससुरी मुँहफुला कर कहती है कि हमें समस्या कहते हो, दम है तो अपनी लुगाई को भी सार्वजनिक रूप से समस्या कह कर बताओ, तो जाने असली मर्द हो ! बस क्या बाबा बंगाली जैसी अपनी कमजोरी छुपाने के लिए अब चुप ही रहते हैं !  

कल ही कलमुँही चिढ़ाकर कह रही थी आधीवाणी बाबू , खूब हमें गँभीर समस्या बता रहे थे और कह रहे थे मँहगाई ने कमर तोड़ दी ! अब अगर दम है तो यही उपाधि जरा अपनी घरवाली गुज्जी बेन को देकर देखो, सिर ही ना फोड़ दे तो कहना !

और आपसे क्या कहें बापू, आपके ये चेले चपाटों की दया है, बड़ा खयाल रखते हैं हमारा, कभी तकलीफ में कोई कमी आने ही नहीं देते ! बस जाते जाते बापू तुमसे एक शिकायत थी हो सके तो दूर कर देना !  

ये तुम्हारे चेले चपाटे तुम्हारा बर्थ डे भी ठीक से नहीं मनाने देते ! दिन भर ये मुर्दाबादी तुम्हारे नाम का टोपी पहन कर अपने आप को गाँधीवादी बताते हैं ! तुम्हारे चौक चौराहों में खुले आसमान के नीचे भीगते सुखते थ्री डायमेंशनल फिगर जिसे साल भर फ्लाईंग एनिमल अपने वॉच टॉवर के रूप में इस्तेमाल करते हैको धो पोछकर माला चढ़ा अपने आप को गौरांवित महसूस करते हैं ! समझ में नहीं आता कि ये गाँधीवादी हैं या गाँधीबर्बादी हैं ! 

खैर जो भी हो मूल मुद्दा ये है कि अब तो आप भगवान से डाईरेक्ट बात कर सकते हो ! तो उनसे बोलकर इन गाँधीबर्बादीयों को जरा आप सन्मति दिलावाओ !  

अरे खुद तो आपका बर्थ डे ढंग से सेलीब्रेट करते नहीं और उपर से सारे देश में आज के दिन ड्राई डे घोषित कर हमें भी ढंग से सेलीब्रेट करने नहीं देते ! वो तो हम ओरिजनल पंजीकृत मोमबत्ती ब्रिग्रेडी बुध्दजीवी हैं इसलिए होशियारी से एक दिन पहले ही स्टॉक जमा कर लेते हैं और आपका हैप्पी बर्थ डे सेलीब्रेट करते हैं लेकिन आप तो जानते हैं हमारे देश की अस्सी प्रतिशत जनता गाँवो में रहती है और भोली भाली है इसलिए उनको बड़ी तकलीफ होती है ! कुछ बेचारे मजबूरी में ब्लेक में खरीदकर सेलीब्रेट करते हैं जो अच्छी बात नहीं हैं!

लेकिन इस वर्ष मुझे एक्स्क्यूज करेंगे क्योंकि जैसे ओमपुरी, अन्ना के अनशन के बीच में आ कर फँस गया था वैसे ही आपका बर्थडे अब के पित्र पक्ष के बीच में फँस गया इसलिए सेलीब्रेट नहीं कर पा रहा हूँ ! आशा ही नहीं बल्कि यकीन है कि आप मेरे दुख दर्द को समझ रहे होगें!  

आखीर में हमारे देश से वहाँ पधारे सभी गणमान्य महानुभावों को मेरा गुड आफ्टरनून कहना ! मुझे मालूम है वे लोग जो नर्क में होंगे वो तो वहाँ भी जुगाड़ कर ऐश कर रहे होंगे लेकिन जो आपके साथ स्वर्ग में होंगे उन्हे कहना हमारे लिए ज्यादा चिंता ना करें वैसे भी उन्होने अपना जीवन तो हमारे लिए बलिदान कर ही दिया है कम से कम अब वे चैन और सुख शांति से रहें !  

छोटे लाल बहादुर को मैंने अलग से एस एम एस कर हैप्पी बर्थ डे विश किया है शायद उन्हे मिल गया होगा ! अगर नेटवर्क जाम होने के कारण नहीं मिला हो तो उन्हे भी मेरी तरफ से हैप्पी बर्थडे विश कर देना !

वन्स अगेन हैप्पी बर्थडे टू यू व्हेरी मच एण्ड मेनी मेनी रिटर्न्स ऑफ द डे बट नॉट डिक्लियर्ड एस ए ड्राई डे ! चीयर्स .....

योर मोस्ट ब्लडी का फूल
काजू लाल चिरौंजीचीयर्स
आफिसर्स च्वाईस निवास
क्वाटर नं 1मेक्डावल रम
पोस्ट रायल स्टेग खम्बा
मुगल मोनार्च , एंटीक्यूटी 000420