रविवार, 6 नवंबर 2011

भ्रष्टाचार और फाईनेन्सियल ईरेगुलरिटी

कल रात अचानक अपने वातानुकुलित कमरे में शीतकालीन सत्र में भी एसी चालू कर एक हाथ में जूस का गिलास पकड़कर एलसीडी स्क्रीन पर समाचार देखते हुए मेरे दूसरे हाथ से रिमोट में गलती से कुछ अवांछित बटन दब गया !

(यहाँ ये इसलिए उल्लेखित करना जरूरी है कि आप लोगों को ऐसा ना लगे कि हम कोई सड़क छाप आदमी हैं, इतनी मँहगाई में भी हम ठंड के दिनो में एसी चालू कर बड़ी एलसीडी स्क्रीन मे समाचार देखते हैं )

इस दुर्घटना से अचानक स्क्रीन पर भारत के सबसे कामेडी समाचार चैनल इंडिया टीवी प्रदर्शित होने लगा ! उस पर दिव्यज्ञानी महामना चाँदीलाल जी बेशरमा जी (दो बार जी इसलिए लगाया क्योंकि आजकल 2G फैशन में है) जनता की सर्वोच्च आधालातलगाये हुए हैं और इस वातानुकुलित आधालात के कटघरे में नर्म चतुष्पाद आसन पर घण्टानाद संघ द्वारा पूजित सत्यनिष्ठ महात्मा खजरीवाल मोमबत्ती जी विराजमान थे ! न जाने क्यों तुच्छबुध्दि पर चंचल मन हावी हो गया और रिमोट पर उँगलियाँ काम करने से इंकार कर अनशन पर बैठ गई !

कल शनिदेव का प्रिय दिवस दिन था अत: सास बिना ससुराल का प्रसारण दिवस न होने के कारण निजी गृह विभाग की पुलिस कमिश्नर जीवन दामिनी ने कोई प्रत्यक्ष विरोध न कर अपनी मौन अनुमति प्रदान कर इशारों में कहा सैंया नयनो की भाषा समझो नाऔर हमने भी मन ही मन उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट कर कहा बड़े अच्छे लगते है”!

जनता की सर्वोच्च आधालात समय से लग चुकी थी वो तो हम ही भारतीय रेल की तरह कुछ विलम्ब से पहुँचे थे अत: पेशी पर बीच में ही ड्ब्ल्यूटी शामिल हुए लेकिन ठीक उसी समय सरकारी बाबू की तरह टी ब्रेक हो गया ! खैर हम भी जनरल बोगी की सवारी की तरह अपना कब्जा जमा कुछ मेंनकाओं से मार्केट के नये उत्पादों की जानकारी लेना उचित समझा !

मेंनकाओं द्वारा कई पुरूष उपयोगी उत्पादों की अहम जानकारी के बाद महामना चाँदीलाल बेशरमा पुन: आधालात में उपस्थित हुए और मुस्कुराते हुए महात्मा खजरीवाल मोमबत्ती जी से विनम्रता पूर्वक प्रश्न निवेदित किया क्या देवी क्रेन भेदी द्वारा यजमानो से उड़न खटोले में रियायती दर पर की गई आनंददायी यात्रा के लिए सर्वसाधारण द्वारा चुकाये जाने वाला दीर्घभाड़ा वसूला जाना भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं आता !

इतना सुनते ही महात्मा खजरीवाल मोमबत्ती जी ने अपने मुख मंडल में नैसर्गिक रूप से विद्यमान उत्तेजना और क्रोध के भाव को मासूमयित से लबरेज मंद मुस्कुराहट में परिवर्तित कर कण्ठ से वाणी प्रस्फुरण किया - मैं इसे भ्रष्टाचार नहीं मानता, उन्होने ये राशि स्वयं के उपभोग के लिए नहीं ली और यह दो पक्षों के मध्य आपसी समझौता थी ! लेकिन चाँदीलाल बेशरमा की दिव्य दृष्टि छतीसगढ़ तक नहीं पहुँच पायी थी जहाँ देवी क्रेन भेदी ने एक ही यात्रा के लिए दो अलग अलग पक्षों से पृथक पृथक भुगतान लेने का पीड़ादायी कष्ट उठाया था !

ये ज्ञान इस अध्याय में संदर्भित नहीं है अत: कभी किसी अन्य प्रवचन में इस पर ज्ञानवर्षा करेंगे किंतु चाँदीलाल बेशरमा द्वारा ये पूछे जाने पर कि फिर निर्मोही टूजी राजा बाबू द्वारा किया गया पुनित सेवा कार्य इसके विपरीत भ्रष्टाचार की श्रेणी में कैसे नामांकित हो गया ! इसपर उन्होने एक अद्भुत दिव्यज्ञान का प्रकटीकरण किया जिसके लिए हमें इतनी लम्बी भूमिका लिखनी पड़ी ! इसे आप भी आत्मसात करें जीवन में आर्थिक स्पष्टीकरण हेतु काम आयेगी !

जब कभी भी किसी निर्मोही दिव्यात्मा द्वारा अवैध माया अर्जित कर स्वयं उपभोग ना कर दूसरों के लिए उपयोग किया जाये उसे वित्तीय अनियमितता (पैतृक भाषा में फाईनेन्सियल ईरेगुलरिटी) कहा जायेगा भ्रष्टाचार नहीं ! यदि उसे स्वयं के उपभोग हेतु निमित्त किया जाता तो उसे भ्रष्टाचार कहते जैसे टूजी राजा बाबू ने किया है ! वो अच्छा हुआ चाँदीलाल बेशरमा हमारे जैसे दुर्वासा मुनि नहीं हैं वरना उनसे जरूर पूछते हमारे निर्मोही टूजी राजा बाबू ने भी अपनी अवैध माया को महिला उत्थान हेतु सेवाभाव से छूईमुई बाई को अर्पित किया था इसलिए उसे भी परमार्थ कार्य के लिए देवी चरणो में अर्पित श्रध्दासुमन मान कर फाईनेन्सियल ईरेगुलरिटी माना जाना चाहिए !
खैर जाने दें हमारे भक्तजनों को हमेशा शिकायत रहती है कि बाबा निशाचरी देव सदैव क्लिष्ठ शब्दों में प्रवचन करते हैं जो भक्तों को समझ में नहीं आता ! अतएव सभी निश्छल एवं कोमलह्रदयी भक्तों के लिए उदाहरण सहित व्याख्या दे रहें हैं आत्मसात करें !

संलग्न चित्र को ध्यान पूर्वक देखें ! इसमें आपको एक सेवाभावी यातायात कोतवाल आम राहगीर से माया ग्रहण करता हुआ दृश्य हो रहा है ! यातायात कोतवाल इस माया का यदि स्वयं उपभोग करेगा तो उसे हम भ्रष्टाचार कहेंगे और यदि अंतरात्मा की वाणी से प्रेरित होकर उसे शत प्रतिशत अपने उच्च पदस्थ नगर रक्षक को राष्ट्र सेवा हेतु समर्पित कर देगा तो उसे वित्तीय अनियमितता अर्थात फाईनेन्सियल ईरेगुलरिटी कहा जायेगा ! (यहाँ आपको ज्ञात होना चाहिए कि विद्वानों ने कहा है कि अपना (वित्तीय) सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है!)

बटुआ खोल कर प्रेम से बोलो बाबा निशाचरी देव की ....  जय हो

2 टिप्‍पणियां:

  1. गांधी अनंत गांधी ब्यथा अनंता लेवहीं देवहीं बहू बिधी सब संता

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  2. जय हो गुरू वैसे क्लिष्टता से लेख का रस थोड़ा कम हो जाता है सो बेहतर कि भाषा बोलचाल की ही रहे।

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