शनिवार, 26 नवंबर 2011

“बस एक ही मारा - व्हाय दिस कोलावेरी कोलावेरी डी”


अपने आईपेड पर कानो में हेडफोन लगाकर पुराने गानों को नये ट्यून पर सुन रहा था वो क्या कहते हैं उसे टेक्निकल भाषा में “रीमिक्स” और साथ साथ टीवी पर न्यूज भी देख रहा था क्योंकि आजकल न्यूजचैनल वाले इतना डिटेल में दिखाते हैं कि बहरे भी समझ जायें ! अब कोई सनसनी में आकर इस अंदाज से कहेगा “चैन से सोना है तो जाग जाओ” तो भाई मुर्दे भी जाग जायेंगे बहरों की क्या बात है ! बस समय का बहुपयोग कर टू-इन-वन कर रहा था याने न्यूज देखते हुए जो दिमाग का दही हो रहा था उसे गाना सुनकर मक्खन कर रहा था !

अचानक आईपेड पर गाना चेंज हुआ और एक नवयौवना की मधुर चीत्कार सुनाई दी “काँटा लगाआआआ” और ठीक उसी वक्त टीवी पर देखा सर्दी पावर साहब अपने गाल पर हाथ रखे हुए बँगले के अंदर चले जा रहे हैं ! हमने तत्काल अपना हेडफोन उतारा और आधुनिक लेडी नारद यानी न्यूज एंकर के चेहरे और वाणी पर आँख और कान को चकोर की तरह गड़ा दिया ! मामला थोड़ी देर में ही समझ आ गया कि किसी हरिप्रसाद ने सर्दी पावर के गाल पर चमाट रसीद कर कश्मीरी सेव बना दिया है ! कितना अजीब संयोग था आईपेड पर गाना और सर्दी पावर साहब का चमाट खाना ! बस गाने के बोल नैसर्गिक रूप से परिवर्तित होकर कुछ यूँ सुनाई देने लगा
“चाँटा लगाआआआआआआ ..हाय लगा ..हाय लगा
अपने ही थोबड़े पर ,कनवा के नीचे ये किसका
चाँटा लगाआआआआआआ ” 

फिर क्या था बावरी मीडिया के लिए तो ये एक संजीवनी बूटी का काम कर गई और चल पड़ा सनसनी का खेला ...  देखिए सर्दी पावर जी के गाल को हमारे कैमरे की नजर से सबसे पहले हमारे स्टार तेज चैनल पर ! और हमने तुरंत गाना चेंज कर आईपेड पर मेंहदी हसन का गजल लगाया ताकि सर्दी पावर के गाल को ठंडक मिल सके और बावरी मीडीया के चरित्र का भी बखान हो सके –  

जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रूसवाई ,
अब खाक उड़ाने को बैठे हैं तमाशाई
अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता
इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई 

सर्दी पावर साहब खुद को गाँधी का ओरिजनल नियरेस्ट फालोवर साबित करने के लिए बिना माँगे ही माफीनामे की घोषणा कर दी ये अलग बात है कि इनडॉयरेक्ट्ली अपने छोले भटूरों के मार्फत हरविंदर के चाँटे का कर्ज पुलिस थाने में ही तुरंत उतार दिया ! लेकिन शाम होते होते स्यापा गाने वालों की महफिल ऐसी जमी की मत पुछिये !  

पूरा देश दो खेमों में बँट गया ! पहला खेमा “शासक वर्ग” जो स्वयं को एकमेव गाँधीवादी होने का दावा करता है और जिनकी बिरादरी के ही नुमाईंदे की शारीरिक सत्कार वंदना हुई थी वे भीतर से तो बड़े प्रसन्न थे लेकिन खुद का भी नम्बर आने की सम्भावना को देख घटना की घोर निंदा कर फ़टीक्रिया देने लगे !
इतने सारे नेताओं के मुखारविंद से निंदागान सुनकर ऐसा लगा मानो स्वयं महात्मा गाँधी की आत्मा जबरन कई खादीधारी शरीर में घुसकर देश में अचानक अवतरित हो गये हैं और मजे की बात तो ये है कुछ दिनों पूर्व इन्ही गाँधीवादी बिरादरी के कुछ नामचीन खादीधारी लोगों ने हरविंदर से कई गुना ज्यादा शौर्य और पराक्रम का सार्वजनिक प्रदर्शन कर स्वामी भक्ति का परिचय दिया था ! 
दूसरा खेमा हैं “आम जनता” जो हमेशा से मँहगाई और बेकारी के चाँटे से पीटता चला आ रहा है उन्हे ऐसा लगने लगा मानो देश की सारी समस्या, भूखमरी, मँहगाई सब कुछ एक चाँटे से समाप्त हो गई ! दरअसल गाँधीवाद इसी आम जनता का जीवन दर्शन था लेकिन इस गाँधीवाद को शासक वर्ग द्वारा बलात अधिग्रहण कर निजी सुविधानुसार इतना दुरूपयोग किया गया है कि आम जनता बेजार हो कर भगतवादी बनने को मजबूर हो चुकी है उन्हे हरविंदर के शरीर में साक्षात भगतसिंह के आत्मा की झलक दिखाई देने लगी और पूरा सोशियल नेटवर्किंग साईट उनके स्तुतिगान में लग गया और समवेत स्वर में एक ही भजन गाने लगा
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
तूने जबसे एक चाँटा जमाया
...  मेरे हरविंदर ओ मेरे शेर ! 

इधर मार्डन क्रांतीकारी बग्गा दादा ने हरविंदर को बग्गारत्न और गाँधीचित्र से अलंकृत ग्यारह हजार मुद्रा से सम्मानित करने का ऐलान कर दिया !  

इन दोनो खेमों से अलग एक मायावी तीसरा खेमा भी है जो अपने आप को दूसरे खेमे का नुमाईंदा बताता है लेकिन उसके जीवन जीने का स्टाईल पहले खेमे से प्रभावित है या सरल भाषा में कहें तो “आम जनता” का मसीहा बताकर “शासक वर्ग” को धमकाओ और “शासक वर्ग” जैसा मान सम्मान और सुविधा पा कर चैन की बंशी बजाओ !
इसी खेमे के हमारे एक फौजी गाँधीवादी है हजारीलाल अन्ना ! जो सीधे सादे सरल ह्रदयी मदिरा प्रेमियों के लिए ठोकपाल के हिमायती हैं ! उन्हे जब बताया गया कि आपके पुश्तैनी दुश्मन सर्दी पावर के गाल पर हरविंदर ने एक चमाट रसीद कर दिया है तो हजारीलाल अन्ना को अंदर ही अंदर इतनी खुशी हुई कि उसे दबा ना सके और मीडीयाई कैमरे के सामने तुरंत उल्टी कर दी “ बस एक ही मारा” ! वो तो बाद में हमने उनके संकटमोचक का पद सम्भालते हुए मामला ये कह कर साफ किया कि अन्ना का मतलब ये था कि सर्दी पावर बड़ा गाँधीवादी बना फिरता था ! उसने गाँधी दर्शन के अनुसार अपने दूसरे गाल में चमाट ग्रहण क्यों नहीं किया !
इस बीच तिलांजली भोगपीठ के संस्थापक बाबा कामदेव हमसे टकरा गये ! हमने पूछा बाबाजी इस प्रकरण पर आप कुछ मुख प्रक्षेपण नहीं करोगे ! बाबा ने बड़े दार्शनिक अंदाज में कहा ये तो परम्परागत चपाट भोग क्रिया है – विलोम भारती का एक प्रकार है ! अगर लगातार सबकुछ अंदर ही ढकेलते ही रहोगे तो वो कभी ना कभी किसी दूसरे छेद से बाहर भी आयेगा और इसे तो वैज्ञानिक न्यूटन ने भी सिध्द किया है क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया ! जनता का निवाला दबाया तो स्वाभाविक प्रतिक्रिया के रूप में चाँटा गाल में छप कर आया !
लेकिन चमाटा काँड पर क्रिया–प्रतिक्रिया की नौटंकी को देखकर मेरा मन जोर जोर से विविध भारती की तरह एक ही गाना गा रहा है -
“व्हाय दिस कोलावेरी कोलावेरी कोलावेरी डी” 

8 टिप्‍पणियां:

  1. हमर व्यंग टिकली ,,तोर बम के धमाका
    ज्यादा पिराही पवार ला ,,,कलम के तमाचा ,,

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  2. 121 करोड लोग... एक का ही मुंडा सरका..... कल्‍पना कीजिए यदि देश की सारी जनता का मुंडा सरक गया तो जो चांटा लगेगा, उसकी आवाज कितनी भयावह होगी.....????
    बढिया व्‍यंग्‍य।

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  3. व्य़ंग्य सटीक है । आज की ताज़ा खबर को इससे बेहतर ढंग से प्रस्तुत करना मुश्किल है ।

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  4. इन दोनो खेमों से अलग एक मायावी तीसरा खेमा भी है जो अपने आप को दूसरे खेमे का नुमाईंदा बताता है लेकिन उसके जीवन जीने का स्टाईल पहले खेमे से प्रभावित है या सरल भाषा में कहें तो “आम जनता” का मसीहा बताकर “शासक वर्ग” को धमकाओ और “शासक वर्ग” जैसा मान सम्मान और सुविधा पा कर चैन की बंशी बजाओ !................बहुत सटीक ..

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  5. इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई
    बहुत खूब.... क्या बात...सशक्त व्यंग्य...
    सादर बधाई...

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