बुधवार, 25 अप्रैल 2012

त्वरित टिप्पणी - बड़ा लेखक

इक्कीसवीं सदी में महान एवं प्रतिष्ठित लेखक केवल दो ही प्रकार के होते हैं – 

1 जो अपनी किताब मे क्या लिखा गया है इससे ज्यादा उसकी बिक्री कैसे बढ़ाई जाय इस योजना पर सफल हो जाय ।

2 जो खुद इतना सक्षम हो कि बाजार से अपनी किताबों की बिक्री बढ़वा दे ।  

क्योंकि किताबों की सफलता उसके विषयवस्तु , मौलिकता , लेखनशैली , और सही तथ्यात्मक जानकारी से नहीं बल्कि उसकी बिक्री एवं बाजार में माँग से तय होती है ।  

ये अलग शोध का विषय है कि किताबों की कितनी प्रति बिकी और कितनों ने उसे पढ़ा ।  

मैंने कोई किताब पढ़ी तो नहीं पर ये अनुभव जरूर किया है कि  अधिकांशत: लोग जो किताबें खरीदते हैं या खरीदने की हैसियत रखते हैं उनके पास इन्हे पढ़ने का समय नहीं और जिनके पास समय है उनके पास किताब खरीदने की हैसियत नहीं ।  

वर्तमान सामाजिक मापदण्डों के अनुसार सफल और समृध्द लोगों के पास ही किताबों का अनुपम संग्रह देखने को मिलता है और उनकी किताबों के संग्रह को देखकर आप अनुमान लगा सकते हैं कि यदि उन्होने उन सभी किताबों को पढ़ लिया है तो उन्हे किसी अन्य कार्य हेतु समय नहीं मिला होगा और आश्चर्य होता है कि बिना समय दिये कैसे वे अपने व्यवसायिक जीवन में सफल हो गये ।  

इसका  अर्थ  यह  नहीं कि अच्छी किताबें लिखी  नहीं गईं या वे बिकी नहीं अथवा पढ़ी नहीं गई । मनुष्य की सामाजिक, वैचारिक और बौध्दिक विकास एवं उन्नति में इन्ही किताबों का योगदान है लेकिन ऐसी किताबों की हिस्सेदारी उतनी ही है जितनी भारत की आबादी में अमीरों की संख्या ।   

अति उत्साही लेखकों और पाठकों के लिए सूचना - हर वर्ग में कुछ अपवाद भी होते हैं । कुछ पाठक ऐसे भी हैं जो भूखे रहकर भी किताब खरीदकर पढ़ते है किंतु उनकी संख्या नगण्य है वे वर्तमान में अपवाद ही हैं । हर क्षेत्र में ऐसे अपवाद होते हैं , मैने कई विशुध्द शाकाहारी नियमित सुरा प्रेमी भी देखे हैं ।  

इनकारी बयान (disclaimer) - इस लेख से किसी जीवित अथवा मृत लेखक/पाठक का संबंध आकस्मिक संयोग मात्र है । ये लेख पूरी तरह काल्पनिक और लेखक के दिमाग के अंदर कुलबुलाते कीड़े की खुजलाहट मात्र है । जुकर चाचा का इससे कोई लेना देना नहीं है ।

सोमवार, 23 अप्रैल 2012

अन्ना गैंग का MMS


अन्ना गैंग के कोर कमेटी के एक मात्र मुस्लिम सदस्य मौलाना काजमी को टीम से बर्खास्त कर दिया गया ! काजमी दावा कर रहें है कि उन्होने खुद ही अन्ना गैंग को लात मार दी । काजमी की बातों में कितनी सच्चाई है ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा । लेकिन राजू पारेलकर से लेकर वी. पी. राजगोपाल और पर्यावरण कार्यकर्ता राजेंद सिंह तक एक एक कर टीम छोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है ।


यहाँ ये कहना आवश्यक है कि टीम अन्ना के गद्दीदार केजरी और किरण ने काजमी और राजू की तो खूब  भर्त्सना की और अन्ना से भी करवाई लेकिन राजगोपाल और राजेंद्रसिंह के मामले में मौन रहे । इसका अर्थयही है कि पहले दोनो व्यक्तियों कि सामाजिक क्षेत्र में व्यक्तिगत उपलब्धि और मान्यता प्राप्त नहीं है लेकिन बाकी दो सामाजिक क्षेत्र के कार्यों में प्रतिष्ठित व्यक्ति है इसलिए शायद उनकी मजम्मत करने की हिम्मत नहीं हुई ।

मेरे कुछ अंधे अन्ना भक्तों के लिए मैं कुछ देर के लिए मान भी जाता हूँ कि अन्ना के तीन कार्टून, the 3K -केजरी, कुमार और किरण इमानदारी और सत्यनिष्ठा के मानक प्रतिमान है और मौलाना काजमी झूठ बोल रहें हैं तो इन 3K के ही बयान अनुसार काजमी को इसलिए निकाला गया क्योंकि वे गैंग अन्ना की जासूसी कर रहे थे और बैठकों की गोपनीय तरीके से  विडियो क्लिपिंग बना रहे थे । चलिए ठीक है काजमी की तरफ से मैं स्वीकार करता हूँ कि विडियो क्लिपिंग बनाया लेकिन उस क्लिपिंग में ऐसा क्या था कि इतना बवाल मच गया और काजमी को लात मारकर बाहरकरना पड़ा । क्या उसमें ऐसी कोई बात थी जो सार्वजनिक हो जाती तो अन्ना गैंग की धोती खुल जाती ।

दूसरों को बार बार नसीहत देने वाली अन्ना गैंग को क्या वो दिन याद नहीं जब पिछली गर्मी में जनलोकपाल पर बनी दस सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी के विडियो रिकार्डिंग और सीधे प्रसारण की माँग कर सब कुछ पारदर्शी करने का विधवा प्रलाप कर रहे थे । अब अपनी ही मिटिंग की रिकार्डिंग या सीधे प्रसारण को सार्वजनिक करने की बात तो छोड़िये उसकी केवल तीन क्लिपिंग से ही हड़कम्प मचा हुआ है ! 

इंडिया अगेस्ट करप्शन के स्वघोषित सिविल नुमाईंदो आखिर तुम लोग देश की जनता से चंदा इकठ्ठा कर ऐसा कौन सा डेविल काम कर रहे हो जिसके सार्वजनिक होने में तुम्हे अपना चरित्र नंगा होने का भय सता रहा है । कहीं ऐसा तो नहीं कि वास्तव में मौलाना काजमी ही सही हों और वे तुम्हारे असलियत और इस आंदोलन के की  आड़ में छुपे हुए कुटिल इरादों को रिकार्ड कर लिया हो ।

काजमी की बात कहाँ तक सही है ये तो आने वाले वक्त में यकीनन पता चल जायेगा क्योंकि भूषण का चरित्र उसे लम्बे समय तक खामोश बैठने नहीं देगा और केजरी बाबू, ये कुमार विश्वास तब तक ही  तुम्हारा साथ निभायेगा जब तक इस आंदोलन के कारण उसकी भाँड सम्मेलन में माँग बनी रहेगी ।  इसलिए ये शतुरमुर्ग की तरह  अपना गर्दन रेत में गाड़ कर ये मत सोचो कि कोई तुम्हारी असलियत नहीं देख पायेगा । जिस दिन जनता ये बात समझ गई उस दिन तुम्हारी हालत धोबी के चौपाये जैसी हो जायेगी । ना तो सिविल सोसाईटी के मेम्बर रह पाओगे ना ही डेविल सोसाईटी के , तब तुम्हारा ये संगठन IAC सामान्य ज्ञान की किताब में इण्डिया एलान्ग विथ करप्टेड मीर जाफर्स लिखा जायेगा ॥