शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

चीनी उँगली की जय

 नामांकन दाखिले के बाद चीनी उँगली महाराज याने के हमारे आश्रम में विजय श्री का आशीर्वाद लेने आ रहे उम्मीदवारों को महाराज बड़े विश्वास से एक ही वरदान दे रहे थे ...  

जा बच्चा , विरोधी की हार सुनिश्चित है , इसे ब्रह्मा भी नहीं बदल सकता । 

और जैसे ही उम्मीदवार लालबत्तीधारी विशिष्ठ व्यक्ति बन जाने पर महाराज को मोटा चढ़ावा के साथ पुन: चरण दर्शन का संकल्प लेकर चरण स्पर्श करता तो हमारे पीछे खड़ा  चेला भोला शंकर पूरे जोश और उत्साह से प्रश्न वाचक मुद्रा में चिल्लाता  - चुँगली महाराज की ?????   

प्रत्याशी नेता और साथ विचरण कर रहे उसके अनुचर समवेत स्वर में जवाब देते हैं - "जय" 


ये सिलसिला व्यस्तता के साथ दिन भर अनवरत चलता रहा । देर रात्रि पहली फुर्सत में हमने भोला शंकर से पूछा - क्यूँ बे , ये चीनी उँगली महाराज से हम कब चुँगली महाराज हो गये ? 

भोला गंभीर होकर बोला - महाराज ये टेक्नीकल और प्रोफ्रेशनल दूनो मामला है । 

हमने कहा - वो कैसे बे ? 

भोला बोला - देखिए जैसे पीत + अम्बर = पीताम्बर , गज + आनन = गजानन ,
लम्ब + उदर = लम्बोदर , ......  ठीक वैसे ही चीनी + उँगली = चुँगली । 


हमने कहा - अबे लेकिन चीनी + उँगली = चींनुगली होना चाहिए ये चुँगली कैसे ? 

भोला के आँख में एक दिव्य चमक आ गई । लगा जैसे वो मुझे ज्ञान देकर अपनी गुरू दक्षिणा का फाईनल पेमेंट करने वाला है । वो बोला - महाराज चीनुंगली "राईम" में नहीं आता और लोगों की जबान में फिट नहीं होगा , और फिट नहीं होगा तो जाहिर है ये नाम हिट नहीं होगा और हिट नहीं होगा मतलब मार्केटिंग स्ट्रेटजी फेल इसलिए चुँगली राईम में बैठता है देखना ये मार्केट में हिट हो जायेगा । 

इसे कहते हैं प्रोफेशनलीज्म , समझे महाराज ? 

हमने कहा - तू अब भोला नहीं रहा बे , अब तुझे मेरी जरूरत नहीं । 

ये सुनकर भोला चकराया और अपनी औकात को धड़ाम से जमीन में पटकर हाथ जोड़कर फरमाया - महाराज पब्लिकली कहना अश्लील होगा लेकिन सच्चाई तो यही है कि पेण्डुलम चाहे कितना भी बड़ा हो जाय पर लटकता तो नीचे ही है ना । 

खैर छोड़िये महाराज , मुझ अकिंचन को क्षमा कर जिज्ञासा को दूर करें । 

हमने कहा - अब तुझे कौन सी जिज्ञासा है बे ? 

भोला बोला - महाराज , मैने कभी आपको झूठ बोलते नहीं सुना , लेकिन आज आप सभी उम्मीदवारों को एक ही वरदान दे रहे थे " विरोधी की हार सुनिश्चित है , इसे ब्रह्मा भी नहीं बदल सकता " । सबके विरोधी हारेंगे तो जीतेगा कौन ? और जीतेगा भी तो कोई एक ही ना ? सबके सब जीत कैसे पायेंगे ? 

हमने कहा - देख बोला , इनमें से कोई भी जीते , जीतने के बाद इन सबका एक ही विरोधी हो जाता है ....  वो है आम जनता ।

क्योंकि सत्ता - शक्ति का केन्द्र है , और आम जनता - दीन हीन दुर्बल । शक्ति और दुर्बलता , ये दोनो परस्पर विरोधी है इसलिए  

""  चुनाव में कोई भी जीते , आम जनता की हार सुनिचित है ।""  

भोला शंकर भक्तिभाव से दोनो हाथ जोड़कर बोला - महाराज की चरणों में कोटि कोटि प्रणाम । 

रविवार, 20 अक्तूबर 2013

पीले खजाने का स्वप्नदोष



चेला भोला शंकर ने सुबह सुबह सण्डे का सारा मजा किरकिरा कर दिया ।  हमें कुम्भकरण से रामदेव बाबा बनाने की नीयत से दरवाजे पर ही खड़े होकर जोर जोर से राग भैरव में चिल्लाया .... 

उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो तू सोवत है 
जो जागत है सो पावत है,
जो सोवत है वो खोवत है 
खोल नींद से अँखियाँ जरा
और अपने प्रभु से ध्यान लगा 
यह प्रीति करन की रीती नहीं
प्रभु जागत है तू सोवत है....

हमने भी नींद में ही उसे टरकाने के हिसाब से गुलाम अली का गजल चालू कर दिया ...
मकां के सब मकीं सोये पड़े हैं
हवा का शोर मुझसे कह रहा है 

जिसे मिलने तुम आए हो यहाँ पर
वो कब का इस मकां से जा चूका है 

लेकिन साला भोला ठहरा तो हमारा ही चेला , वो कहाँ टरकने वाला था ... रिप्लाई में एकदम साहित्यिक कविता ढकेला ...

जानता जब तू कि कुछ भी हो तुझे ब़ढ़ना पड़ेगा
,
आँधियों से ही न खुद से भी तुझे लड़ना पड़ेगा,
सामने जब तक पड़ा कर्र्तव्य-पथ तब तक मनुज ओ
मौत भी आए अगर तो मौत से भिड़ना पड़ेगा,
है अधिक अच्छा यही फिर ग्रंथ पर चल मुस्कुराता,
मुस्कुराती जाए जिससे ज़िन्दगी असफल मुसाफिर!
पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर।
याद रख जो आँधियों के सामने भी मुस्कुराते 
वे समय के पंथ पर पदचिह्न अपने छोड़ जाते  ....... 

हमने ना चाहते हुए भी निद्रादेवी की साधना को बीच में बलात भंग किया और उसकी कवितामयी ज्ञान को बीच में ही रोककर चिल्लाया – अबे बस कर बे गोपालदास की भटकती आत्मा ... नींद के आगोश से उठ गया हूँ , अब क्या दुनिया से भी उठवायेगा ?

भोला दौड़कर हमारे करीब आया और गुरू शिष्य परम्परा का जबरिया निर्वहन करते हुए अपने दोनों हाथों को मेरे घुटने से टकराया ।

हमने कहा - क्यूँ बे ? लम्बाई छोटी हो गई है या कमर में मोच आ गई जो तेरे कृतघ्न पंजे हमारे चरणकमल तक नहीं पहुँच पा रहें हैं ।

उसने बड़े दार्शनिक अंदाज में फरमाया – महाराज , फीट टचिन्ग ओल्ड फैशन हो गया है, अब लेवल जरा अप होकर नी टचिन्ग तक आ गया है । यही आजकल लेटेस्ट ट्रेण्ड है ।

हमने कहा – अच्छा बे, कल वो चड्डीनुमा जींस पहनी षोडषी कन्या ने जब लेटेस्ट ट्रेण्ड के हिसाब से तुझसे हल्लो बोलने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया था, तब तो तू उसे बड़ा दिव्यज्ञान दे रहा था कि वस्त्र भले ही कितने छोटे हो जाय पर हमने अपनी संस्कृति को छोटी नहीं करनी चाहिए । हम भारतीय हैं और परम्परानुसार हमें एक दूसरे को हाथ मिलाकर नहीं,  गले मिलकर अभिवादन करना चाहिए ।

भोला ने सहज आत्मस्वीकारोक्ति करते हुए कहा – वो तो महाराज, मैं उस समय जरा आशाराम बापू टाईप का संत-ई-मेंटल हो गया था ।

हमने कहा – चल कोई बात नहीं, ये नी टचिन्ग भी सम्मानजनक ही है, वरना आशाराम ने तो टचिन्ग के स्टैण्डर्ड को कुछ ज्यादे ही अप कर कमर के लेवल तक ले आया है ।  

खैर जाने दे, ये बता आज क्या जिज्ञासा लेकर आया है ?

भोला ने कहा – महाराज आज जिज्ञासा नहीं, शिकायत है ।

हमने कहा – साले आजकल तू प्रोबेशनर से ज्यादे प्रोफेशनल टाईप का बिहेब कर रहा है । बहुते शिकायत रहती है बे, तुझे । चल बता क्या कम्प्लेंट है ?

भोला ने कहा – महाराज, आजकल आपका हिन्दी बहुते ज्यादे खराब हो गया है, आप बात बात पे इंग्लिश वर्ड बहुते यूज करने लगे हैं ।

हमने कहा – अबे, हम रामदेव टाईप का मल्टीनेशनल महाराज बनने का सोच रहा हूँ, इही लिए बीच-बीच में इंग्लिश घुसाड़ना जरूरी हो गया है । साले तुम्हारे जैसे चपाटों से अब गुजारा तो सम्भव है पर फेमस नहीं हो पायेंगे, समझा ?

बस यही कम्प्लेंट था ? ... हो गया सेटीस्फाईड ?

भोला ने कहा – नहीं महाराज ई कम्प्लेन नेई है , ई त क्यू-रे-सीटी था । क्यू-रे-सीटी बूझते हैं ना महाराज ... क्यू-रे-सीटी मतलब जिज्ञासा ।

हमने कहा – अच्छा बेटा, अब हमें कोचिंग भी देने लगे हो ।

भोला ने कहा – नई महाराज, हम आपको कोचिंग दें, इत्ता औकात नई है आपका ।
हमने कहा – अच्छा ठीक है, सूरज को दिया मत दिखा । मेन कम्प्लेन का है ई बता ?

भोला ने कहा – महाराज, आपने परसों मुझे एक वरदान दिया था के रात को सपना में जो भी जगह देखेगा वहाँ पीला खजाना निकलेगा ।

हमने कहा – हाँ दिया था ?

भोला ने कहा – उ सच नहीं निकला ।

हमने कहा – अबे हम चीनी उँगली महाराज है और तू इत्ता भी नहीं जानता के चीनी माल का कोई गारंटी थोड़े ना होता है । बाबाओं के इस हार्ड काम्पीटिशन के दौर में गारंटी का उम्मीद भी नहीं करना चाहिए । चल गया तो टनाटन वरना बिका हुआ माल वापस नहीं होगा ।

लेकिन ई बता, साले तूने सपना क्या देखा था ?

भोला ने कहा – महाराज, मैनें परसों सपने में पुराने खण्डहर के तहखाने को देखा और कल जब अपने असिस्टेंट से उसका खुदाई कराया तो उसमें केवल बदबूदार कीचड़ निकला ।

हमने कहा – अबे शेखचिल्ली के आखिरी वंशज । साले जब सपना देखा तो पहले किसी महंत को बताना था।  डाईरेक्ट खुदाई करने क्यूँ चला गया ?

और सुन चीनी उँगली का वरदान कभी गलत नहीं होता । जिस जगह को तुमने सपने में देखा वो कालेज के पुराने गर्ल्स हॉस्टल का सेफ्टिक टैंक है ।  हमने तुमको वरदान दिया था ना, के पीला खजाना निकलेगा |  वो पीला खजाना ही है, सूख गया है इसलिए कलर चेंज हो गया है । 

और आईन्दा के लिए एक बात गाँठ बाँधकर रख ले , अगर सपने में जब कोई गर्ल्स हॉस्टल आये तो वह दिव्य बोध नहीं , एक बीमारी है, यह एक मानसिक दोष है, जिसे मेडिकल भाषा में स्वप्न दोष कहते हैं ।

अब जा उस खजाने को किसी खेत में फैलाकर आलू की खेती कर । सुना है जबर-दस्त पैदावार होती है ।