बुधवार, 22 जनवरी 2014

मोफलर बाबू


कल शाम को हमारी पर्शनल शिन्दे का मानस भ्राता माने के हमारा आईएसी साला मोफलर बाबू एक्सीडेंटली हमसे खिड़की बार के सामने टकरा गया । हमें देखते ही हिलडुल रहे सामने वाले बिजली खम्बे को स्थिर करने का प्रयास करते हुए बोला – अरे राबर्ट जीजू, अच्छा हुआ आप यहाँ दिख गये । जरा दस ठो लाल गाँधी तो दीजिए ।

हम कहा – काहे बे साले ?

मोफलर दबंगाई से बोला – अरे ठठेरा बाबू, तुम भी ना बहुते बड़े वाले हो । अरे, अपने चार दोस्तों के साथ चिंतन बैठकी जमाये रहे, उसी का एक्सपेंडीचर है, पेमेंट करना है । लाओ अब ज्यादे चें पों मत करो देई दो।

हमने कहा – क्यूँ बे खुजालचन्द, ई कैसा बैठक जमाये रहे बे, जिसमें पाँच आदमी के चिंतन के लिए दस ठो लाल गाँधी का पेमेंट करना है ?

मोफलर ने दार्शनिक अंदाज में कहा – बैठक नई ठठेरा बाबू, बैठकी जमाये रहे, यहीं खिड़की बार में । हम पर विश्वास नहीं है तो जाओ अन्दर में जमानत के लिए काऊंटर पर कुमार को बाँध के रखा हुआ है, खुदे पेमेंट कर छुड़ा लाओ।

हमने कहा – देख बे मोफलर, हम मंगलवार को शुद्ध रक्त वाले आर्य कंघी होते हैं, उस दिन दारू से ना तो खुद खुजाते हैं और ना ही किसी के खुजली का पेमेंट करते हैं । लाल गाँधी तो छोड़ो चवन्नी नहीं दूँगा । जाओ, बीड़-लान में घास उगा पड़ा है, जितना उखाड़ना है उखाड़ लो ।   

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अभी सुबह सुबह जब बच्चों को स्कूल छोड़कर घर वापस पहुँचा तो देखा सामने भी
ड़ जमी हुई है । फौरन बदहवास सा घर के अन्दर घुसा तो देखा हमारी पर्शनल शिन्दे जिसे हम प्यार से पीन्दे भी कहते हैं अपने चेहरे पर 8.20 बजाये बैठी है । हमने पूछा क्या हुआ भागवान ?

उसने कहा– एक नई मुसीबत आई है। मोफलर भैय्या सामने पार्क में धरने पर बैठ गये हैं।

हमने कहा – काहे भाई, अब उसे का हुआ ? 

वो बोली – कल शाम की घटना से मोफलर भैय्या बेहद नाराज हैं, चलिए जाकर बात करते हैं ।

हम मोफलर बाबू के पास पहुँचे और बोले– का है बे साले,ई नौटंकी काहे किया हुआ है? चाहते क्या हो ?

मोफलर बोला – ई नौटंकी नहीं, आम जनता के हक की लड़ाई है । हमरा माँग है के आपको ई घर से सस्पेण्ड किया जाया । 

हमारी पर्शनल शिन्दे नाराज हो गई बोली चुप बुड़बक, ई नहीं हो सकता । घर का नेम पलेट में इनका नाम लिखा है, सस्पैण्ड नहीं कर सकते , मोराल डाऊन होगा । ( लेकिन मन ही बड़बड़ा रही थी, इनको सस्पैण्ड कर दिया तो घर का झाड़ू पोछा कौन करेगा ? )

मोफलर बोला तो फेर कम से कम इनका खाना पीना देना बन्द कर दो । खुदे अपना चौका बर्तन खुदे करें ।

वो अब नाराज होने की सीमा तक पहुँच गई और बोली सुन रे मोफलर, बताये देते हैं । हमारे रहते ई अकेले के लिए खाना बनाये, ई हम बर्दाश्त नहीं कर सकते । चाहे कुछ भीं है पर पति है हमारे, वो भी इकलौते ।

इतना सुनते ही वहाँ खड़े मुहल्ले के लोगों की आँखों में हमारे लिए सम्मान की एक लहर दौड़ गई लेकिन वो तो केवल हम ही जानते थे के यदि हम केवल अपने लिए ही चौका बर्तन करें तो घर में बाकी लोगों के लिए कौन  करेगा ?

खैर जो भी दो घण्टे की माथापच्ची के बाद मामला अब शेटल हो गया है । मुझे तीन दिन के मद्यावकाश पर जाने को कह दिया गया है और अन्दर की खबर तो ये है कि हमारी पर्शनल शिन्दे ने इस पूरे घटना के आयोजन व्यय की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए क्षतिपूर्ति हेतु चालीस ठो लाल गाँधी मोफलर बाबू के पिछवाड़े वाले पाकिट में ठूँस दिया है।

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